वक़्त की मार
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जिंदगी में कई दौर ऐसे आते हैं जब लोग बाग़ आपसे जरुरत से ज्यादा होशियारी -चालाकी करते हैं और उनको लगता है की हम कुछ नहीं समझ पा रहे लेकिन वो इस बात को नहीं समझते की हर व्यक्ति को सब कुछ समझ आता है बस वो चुप रह कर रिश्तों की मर्यादा -लिहाज और बेवजह की बहस या गलत माहौल से बचना चाहते हैं …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जो लोग आपको -आपकी भावनाओं को -आपके दर्द को -आपकी मजबूरी और हालातों को ना समझें ,केवल अपनी तकलीफ -परेशानियों का गीत गाते रहें ,ऐसे लोगों के सामने खामोश हो जाना चाहिए -अपने दुःख को साझा नहीं करना चाहिए क्यूंकि अब ये वो ही समझेंगे -मानेगें जो ये समझना और मानना चाहते हैं …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जहाँ आपकी गलती ना हो वहां कभी झुकना नहीं चाहिए लेकिन पहले ये देख लेना चाहिए की सामने वाला किस वजह -किस सबूत की बिनाह पर आपको गलत साबित कर रहा है क्यूंकि कई बार आँखों देखा और कानों सुना भी गलत होता है ,आपको अपने ऊपर पूर्ण विश्वास होना चाहिए की आप पूर्णतया सही हैं ,अपनी आत्मा और ईश्वर के समक्ष खड़े हो सकते हैं …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की चोरी -डकैती या लूटपाट वही नहीं होती जो चोरों -डकैतों या उठाईगीरों द्वारा की जाती है ,इतिहास गवाह है की बड़े बड़े शूरवीर -राजे -महाराजे -योद्धा अपनों के व्यवहार -आचरण -राजनीती और आपसी सामंजस्य नहीं होने से खत्म हो गए ,बाहरी जंग जीत गए पर अंदर के रिश्ते बहुत पीछे छूट गए और चक्रवर्ती सम्राट भी तनहा हो गए ..बेबस हो गए …वक़्त की मार के कारण !
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान