Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Feb 2022 · 2 min read

“ व्हाट्सप्प की करुण कथा “

डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
================
इन छोटे यंत्रों के हम आजन्म ऋणी रहेंगे जिसके प्रयासों से हम तीव्र धावक बन गए ! क्षण में हम विश्व से जुडते चले गए ! बात करना सुलभ हो गया ,संवाद भेजना वह भी द्रुत गति से आसान हो गया और सारा विश्व हमारी मुठ्ठी में समा गया ! पलक झपकते ग्राम ,शहर ,राज्य ,देश -विदेश की खबरें हमें दस्तक देने लगतीं हैं ! भाषा ,संस्कृति ,सभ्यता ,भौगोलिक और राजनीतिक परिवेशों का अध्ययन हो जाता है ! मित्रों के दायरे अब नहीं सीमित रह सकते ! हरेक भाषा से हम परचित हो जाते हैं ! विश्व की तमाम जानकारियाँ गूगल ने समेट रखी है ! शंकाओं का समाधान तत्क्षण हो जाता है ! तमाम विधाओं से अलंकृत होते हुए अहर्निश हमारी सेवा में लगे रहते हैं ! इन विधाओं में व्हाट्सप्प का योगदान अतुलनीय मानना चाहिए ! क्योंकि अधिकांशतः लोग इनकी परिचालन से भिज्ञ हैं ! समाचार ,संवाद ,साक्षात बातें इत्यादि करने का एक उपयुक्त विधा कह सकते हैं ! पर अधिकांश लोग इसका प्रयोग शॉर्ट रेंज और लॉंग रेंज फ़ाइरिंग के लिए ही करते हैं ! सुबह – सुबह उठते ही अपनी रणकौशलता दिखलाते हैं ! कहीं से किन्हीं के पोस्टों को उतार कर चिपका देते हैं ! यही प्रक्रिया दूसरे तरफ से भी होती हैं ! हम सही सदुपयोग नहीं करते हैं ! किसी श्रेष्ठ ने जन्म दिनों की बधाइयाँ दी और हम अपनी अकर्मण्यताओं को एक अंगूठा दिखाकर व्यक्त करते हैं ! पिता ने अपने पुत्र को ,माता ने अपनी पौत्री को किसी शुभअवसर पर आशीष पत्र लिखा और हम आभार ,प्रणाम और स्नेह को लिखना भूलकर कोई तस्वीर चिपका देते हैं ! आप यदि ध्यान से व्हाट्सप्प क निरीक्षण करें तो यह विधा हमेशा रोती हुई ही मिलेगी ! हम इस विधा की करुणकथा सुनकर भी सजग नहीं होते तो अन्य विधाओं के आँसू भला कैसे पौछेंगे ?
===============
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका

Language: Hindi
Tag: लेख
254 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
“परीक्षा”
“परीक्षा”
Neeraj kumar Soni
हिन्दी सूरज नील गगन का
हिन्दी सूरज नील गगन का
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
घर एक मंदिर🌷
घर एक मंदिर🌷
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बैठे थे किसी की याद में
बैठे थे किसी की याद में
Sonit Parjapati
🐍भुजंगी छंद🐍 विधान~ [यगण यगण यगण+लघु गुरु] ( 122 122 122 12 11वर्ण,,4 चरण दो-दो चरण समतुकांत]
🐍भुजंगी छंद🐍 विधान~ [यगण यगण यगण+लघु गुरु] ( 122 122 122 12 11वर्ण,,4 चरण दो-दो चरण समतुकांत]
Neelam Sharma
शायरी का बादशाह हूं कलम मेरी रानी अल्फाज मेरे गुलाम है बाकी
शायरी का बादशाह हूं कलम मेरी रानी अल्फाज मेरे गुलाम है बाकी
Ranjeet kumar patre
अपने आत्मविश्वास को इतना बढ़ा लो...
अपने आत्मविश्वास को इतना बढ़ा लो...
Ajit Kumar "Karn"
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
ईश्वर जिसके भी सर्वनाश का विचार बनाते हैं तो सबसे पहले उसे ग
ईश्वर जिसके भी सर्वनाश का विचार बनाते हैं तो सबसे पहले उसे ग
इशरत हिदायत ख़ान
राधा के दिल पर है केवल, कान्हा का अधिकार
राधा के दिल पर है केवल, कान्हा का अधिकार
Dr Archana Gupta
*** कृष्ण रंग ही : प्रेम रंग....!!! ***
*** कृष्ण रंग ही : प्रेम रंग....!!! ***
VEDANTA PATEL
Yesterday ? Night
Yesterday ? Night
Otteri Selvakumar
तुम बिन जाएं कहां
तुम बिन जाएं कहां
Surinder blackpen
4631.*पूर्णिका*
4631.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रब करे हमारा प्यार इतना सच्चा हो,
रब करे हमारा प्यार इतना सच्चा हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अधूरे रह गये जो स्वप्न वो पूरे करेंगे
अधूरे रह गये जो स्वप्न वो पूरे करेंगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
"कटेंगे तो प्रसाद में बटेंगे,
*प्रणय*
दो नयनों की रार का,
दो नयनों की रार का,
sushil sarna
यह पतन का दौर है । सामान्य सी बातें भी क्रांतिकारी लगती है ।
यह पतन का दौर है । सामान्य सी बातें भी क्रांतिकारी लगती है ।
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
समस्या विकट नहीं है लेकिन
समस्या विकट नहीं है लेकिन
Sonam Puneet Dubey
संघर्ष और निर्माण
संघर्ष और निर्माण
नेताम आर सी
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
घर को छोड़कर जब परिंदे उड़ जाते हैं,
शेखर सिंह
दुनिया अब व्यावसायिक हो गई है,रिश्तों में व्यापार का रंग घुल
दुनिया अब व्यावसायिक हो गई है,रिश्तों में व्यापार का रंग घुल
पूर्वार्थ
ईर्ष्या
ईर्ष्या
Dr. Kishan tandon kranti
इश्क
इश्क
Sanjay ' शून्य'
किस बात की चिंता
किस बात की चिंता
Anamika Tiwari 'annpurna '
इंतज़ार करने की लत
इंतज़ार करने की लत
Chitra Bisht
*नई मुलाकात *
*नई मुलाकात *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
किसी भी काम को बोझ समझने वाले अक्सर जिंदगी के संघर्षों और चु
किसी भी काम को बोझ समझने वाले अक्सर जिंदगी के संघर्षों और चु
Rj Anand Prajapati
आज भी कभी कभी अम्मी की आवाज़ सुबह सुबह कानों को सुन
आज भी कभी कभी अम्मी की आवाज़ सुबह सुबह कानों को सुन
shabina. Naaz
Loading...