“ व्हाट्सप्प की करुण कथा “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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इन छोटे यंत्रों के हम आजन्म ऋणी रहेंगे जिसके प्रयासों से हम तीव्र धावक बन गए ! क्षण में हम विश्व से जुडते चले गए ! बात करना सुलभ हो गया ,संवाद भेजना वह भी द्रुत गति से आसान हो गया और सारा विश्व हमारी मुठ्ठी में समा गया ! पलक झपकते ग्राम ,शहर ,राज्य ,देश -विदेश की खबरें हमें दस्तक देने लगतीं हैं ! भाषा ,संस्कृति ,सभ्यता ,भौगोलिक और राजनीतिक परिवेशों का अध्ययन हो जाता है ! मित्रों के दायरे अब नहीं सीमित रह सकते ! हरेक भाषा से हम परचित हो जाते हैं ! विश्व की तमाम जानकारियाँ गूगल ने समेट रखी है ! शंकाओं का समाधान तत्क्षण हो जाता है ! तमाम विधाओं से अलंकृत होते हुए अहर्निश हमारी सेवा में लगे रहते हैं ! इन विधाओं में व्हाट्सप्प का योगदान अतुलनीय मानना चाहिए ! क्योंकि अधिकांशतः लोग इनकी परिचालन से भिज्ञ हैं ! समाचार ,संवाद ,साक्षात बातें इत्यादि करने का एक उपयुक्त विधा कह सकते हैं ! पर अधिकांश लोग इसका प्रयोग शॉर्ट रेंज और लॉंग रेंज फ़ाइरिंग के लिए ही करते हैं ! सुबह – सुबह उठते ही अपनी रणकौशलता दिखलाते हैं ! कहीं से किन्हीं के पोस्टों को उतार कर चिपका देते हैं ! यही प्रक्रिया दूसरे तरफ से भी होती हैं ! हम सही सदुपयोग नहीं करते हैं ! किसी श्रेष्ठ ने जन्म दिनों की बधाइयाँ दी और हम अपनी अकर्मण्यताओं को एक अंगूठा दिखाकर व्यक्त करते हैं ! पिता ने अपने पुत्र को ,माता ने अपनी पौत्री को किसी शुभअवसर पर आशीष पत्र लिखा और हम आभार ,प्रणाम और स्नेह को लिखना भूलकर कोई तस्वीर चिपका देते हैं ! आप यदि ध्यान से व्हाट्सप्प क निरीक्षण करें तो यह विधा हमेशा रोती हुई ही मिलेगी ! हम इस विधा की करुणकथा सुनकर भी सजग नहीं होते तो अन्य विधाओं के आँसू भला कैसे पौछेंगे ?
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका