व्याल दोहा छंद
विधा- व्याल दोहा छंद
गिरत परत उठि-उठि चलत, नयनन करत सुभाष।
नचत फिरत नैनन सहित, करें नयन अभिलाष।(1)
गिरत परत उठि उठि लड़त, रिपुदल सहित सुभाष।
नैन नचावत रिपु कटत, अरिदल करत कुभाष। (2)
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
विधा- व्याल दोहा छंद
गिरत परत उठि-उठि चलत, नयनन करत सुभाष।
नचत फिरत नैनन सहित, करें नयन अभिलाष।(1)
गिरत परत उठि उठि लड़त, रिपुदल सहित सुभाष।
नैन नचावत रिपु कटत, अरिदल करत कुभाष। (2)
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम