व्यवस्था परिवर्तन
व्यवस्था चाहे व्यक्तिगत हो,पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, व्यवासायिक हो.
आईना बनती है, उसकी प्रगति, विस्तार
वा कर्मचारियों के प्रति समर्पित भाव की.
*घंटू कथा के पात्र ने एक खराब ईंजन वाली कार खरीद ली,
शुरुआत की गाडी के टायर बदलने से,
फिर रंग पेंट और सीट कवर बदल कर फैसला लिया कि वह उसे कबाडी को बेच दे.
तो उसे कार की खरीद कीमत तो नहीं.
लेकिन उसे टायर, रंग पेंट,सीट कवर पर खर्च
किये पैसे वापिस मिल जायेंगे.
बाकी उठाए गये नुकसान को आर्थिक मंदी की वजह बना कर सेंधी मार देगा.
आपदा में अवसर.
भागते चोर की लगोंटी
के अच्छे उदाहरण भी.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस