व्यर्थ
✒️?जीवन की पाठशाला ?️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की अगर आप अपनी माँ -पत्नी -बेटी -बहु और अन्य महिलाओं की ह्रदय से इज्जत करेंगें तो यकीन मानिये मंदिर में विराजमान /स्थापित माँ का आशीर्वाद स्वतः ही आपको प्राप्त हो जायेगा… और यदि आप सारे जप- तप- व्रत-पूजा पाठ कर रहे हैं लेकिन महिलाओं की इज्जत नहीं करते हैं तो यकीन मानिये सब व्यर्थ है …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की उदासी यानी -अतीत में जीना..
तनाव् यानी भविष्य में जीना..और आनंद यानी वर्तमान में जीना..,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की उस इंसान से हमेशा दूरी बनाये रखें ,जिसे खुद की गलती नजर ही ना आती हो….,
आखिर में एक ही बात समझ आई की कामयाबी के सफर में “धूप” का बड़ा महत्व होता हैं,क्योंकि “”छांव”” मिलते ही कदम” रुकने लगते है…..!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान