व्यर्थ यह जीवन
गीतिका
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व्यर्थ यह जीवन कभी जाए नहीं।
दौर कष्टों का कभी आए नहीं।
मुस्कुराहट है बहुत ही कीमती।
लुप्त यह होने कभी पाए नहीं।
है जरूरी मन प्रफुल्लित हो सदा।
धुंध की चादर कहीं छाए नहीं।
हम खुशी से खूब श्रम करते रहें।
स्वप्न हमको छद्म दिखलाए नहीं।
नारियां बढ़ती निरंतर बेहिचक।
कार्य करती नित्य शरमाए नहीं।
श्रम बिना तो कुछ नहीं मिलता यहां।
यूं किसी को भाग्य उलझाए नहीं।
जो समय के साथ चलना सीख ले।
मुश्किलों से नित्य घबराए नहीं।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य