व्यंग
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अभी हाल ही में हुआ ,,नेतागिरी का साक्षात्कार ………..
मैं भी पहुँच गया सहम के ,,जबकि छोटा है आकार,,,,,,,,,
इंटरव्यू का पहला प्रशन ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
क्या तुमने किसी अंधे भिखारी को देखा है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
वैसे तुम्हारे और उनके बीच एक बड़ी लक्ष्मण रेखा है ,,,,
मैंने कहा देखा है ,,,,,,,
वे फिर बोले अगर अगला प्रशन बताओगे ..
तो सम्भव है सफल हो जाओगे ,,,,
सोचने लगा क्या होगा ,,प्रशन ,,,,,,,,,,,,,,,,,,
प्रशन था ,,,क्या तुमने किसी अंधे भिखारी के कटोरे से ….
एक रुपया डालकर दो रुपपे उठाये है ,,,,,,,,,,,,,
मैंने कहा नहीं ,,,,,
वे बोले ,,तो आगे क्या कर पाओगे ,,
क्या खाक नेतागिरी निभाओगे ………
जब एक अंधे आदमी को बेफकूफ नहीं बना सके ,तो डेढ़ अरब दो आख बालो को
क्या बेफकूफ बनोगे ..
क्या खाक शासन चलोगे ,,,,,,,,,,,,,,