#व्यंग्य-
■ सोशल मीडिया (फेसबुक) पर महान बनने के तीन नायाब नुस्खे।
[प्रणय प्रभात]
(01) सुबह, दोपहर, शाम और रात को केवल गुड मॉर्निंग, गुड आफ्टर नून, गुड ईवनिंग और गुड नाइट वाली पोस्ट डालें (अगर कुछ और लिखना करना छोड़ कॉपी-पेस्ट करना तक नहीं आता हो तो) लेकिन आने वाले कमेंट्स का जवाब किसी को भी ना दें। कमेंट्स तो दूर की बात लाइक भी ना करें वर्ना आप नालाइक समझे जा सकते हैं।
(02) जन्मदिवस पर आने वाले बधाई संदेशों को पढ़कर खुश होते रहें लेकिन मन में फूटने वाले लड्डुओं का चूरा अपनी वॉल पर ना गिरने दें। किसी संदेश को लाइक भले ही कर दें भूले-भटके लेकिन धन्यवाद भूलकर भी ना दें (इससे आपकी सेलीब्रेटी वाली इमेज खतरे में पड़ सकती है),,,जब लगे कि सौ-पचास (इससे ज्यादा आपसे कहां झेले आऐंगे) मित्र अपना काम कर चुके हैं तो अपनी वॉल पर महानायक-नायिका वाले अंदाज में एक धन्यवाद संदेश डाल दें (ताकि आपकी सलामती की दुआ करने वाले बेचारों का दिल रह जाए और सबको पता भी चल जाए कि आप कोई ऐरे-गैरे-नत्थू-खैरे नहीं हैं जो सभी को मुंह लगाते फिरें)
(03) गलती से (जिसकी संभावना बेहद कम है आपके मिजाज को देखते हुए) किसी की कोई चीज या बात (संदेश) पसंद आ जाए तो उसे उसकी वॉल पर नहीं बल्कि इन्बॉक्स में जाकर उत्तर दीजिए भले ही उसने अपनी बात या विचार आपकी वॉल पर चिपकाई हो। इससे किसी को ये भी पता नहीं चलेगा कि आप पूरी तरह से निठल्ले हैं और सामने वाला भी बेचारा धन्य हो जाएगा।
(Y) कर दीजिए आज से ही शुरूआत इन उपायों पर अमल की। दीपावली से पहले धनतेरस का शुभ मुहूत्र्त है। व्यावसायिक बनिये,,,,व्यावहारिकता में क्या रखा है। औपचारिकता का जमाना है अनौपचारिक लोग मां महालक्ष्मी का वाहन माने जाते हैं आज के युग में…..। (जय फेसबुक,,,जय मार्क जुकरबर्ग) जय इसलिए कि इनकी वजह से कोई तो जाना आपको और हमको…..वर्ना सच्चाई तो यह है कि हम हैं क्या…? (पिद्दी ना पिद्दी के शोरबे)
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-सम्पादक-
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(मध्य-प्रदेश)