#व्यंग्य वाण
#व्यंग्य वाण
अंग्रेजी शिक्षा अब ज्यादा ।
हुई प्रचारित कर कर वादा ।।
मना रहे हिंदी पखवाडा ।
अंग्रेजी का रोज अखाड़ा ।।
शहर गली या गाँव मुहल्ला।
सुना रहा अंग्रेजी हल्ला ।।
हुआ प्रभावित सकल समाजा।
इंग्लिश भाषी कल का राजा।।
हिंदी की शाला सब खाली ।
इंग्लिश पढने चले दलाली ।।
बेंच रहे घर द्वार जमीना।
गिरबी रखते सभी नगीना ।।
चलन देख दुख होता भारी।
बनी आंग्ल भाषा सरकारी ।।
हिंदी का हम जश्न मनाते ।
बच्चों को इंग्लिश पढ़वाते ।।
सरकारें देती कम ध्याना।
लुटती प्रजा निजी संस्थाना।।
सेवक नेता करें कमाई ।
शिक्षा में हो रही लुटाई।।
राजेश कौरव सुमित्र