व्यंग्य – पत्नी पीड़ित
. …. व्यंग्य ….
…. पत्नी – पीड़ित ….
पत्नी पीड़ित ऐ ! भद्र जनों ,
मेरी सलाह सुनते जाओ ।
ससुराल से जाकर अपने घर
साली सालों को ले आओ ।।
यदि जीवन सुखद बनाना है
यदि घर में स्वर्ग बसाना है
यदि निज सम्मान बचाना है
यदि पत्नी सुख को पाना है
मेरे प्रियवर हे ! बन्धु सखे
मेरी सलाह को अपनाओ
ससुराल से ..।.।।।.।।…….।।.।
पत्नी यदि कुछ भी कहे तुम्हें
चुपचाप सुनो करवद्ध रहो
अपराध बिना भी दण्ड मिले
स्वीकार करो तुम कुछ न कहो
उनके ही प्रिय अनुचर बनकर
हँसते – हँसते सहते जाओ
ससुराल से जाकर …….।।।। ।
नित सास ससुर के साथ रहो
ससुरालय से जोड़ो नाता
उनको ही पूर्ण समर्पित हो
त्यागो परिवार पिता – माता
अपने प्रियजनों व मित्रों को
धीरे – धीरे तजते जाओ
ससुराल से जाकर ……….।।
घर की रखवाली भी होगी
यदि साथ रहेगा प्रिय साला
गुणगान करो सुन्दरता का
हो रूप – रंग चाहे काला
साली के प्रिय सहचर बनकर
हर्षित हो सँग चलते जाओ
ससुराल से जाकर ………..।।
शशि जो लक्ष्मी का भाई है
भगवान विष्णु का साला है
साला ही समझकर शिव जी ने
मस्तक पर उसे बिठाला है
सदियों की यह परिपाटी है
बस तुम भी दोहराते जाओ
ससुराल से जाकर …।।।।।…..।
डा. उमेश चन्द्र श्रीवास्तव
लखनऊ