व्यंग्यात्मक दोहे
1.
अच्छी कविता कौन है, समझ नहीं खुद आय |
लेखन से फुरसत कहाँ, पढ़ि-पढ़ि ज्ञान अघाय ||
2.
कविता दिल की बात है, लिख जितना लिख पाय |
तोड़ दिया दिल इश्क ने, कवि बनता फिर जाय ||
3.
मिलता पत्र प्रमाण में, लेखक का रे! भाय |
कोई भी हो नव विषय, झट से कुछ लिख आय ||
4.
नव अंकुर साहित्य के , निकले नित्य हजार |
पाठक तो हैं कम यहाँ , लेखक भरा बजार ||
5.
जैसी हो कविता चहे, लाइक बनता यार |
तब तो अपनी पेज पर, आए बारंबार ||
6.
लगा प्रेम का रोग है, लेखन होता रोज |
छंदों से मतलब किसे, बिन शृंगार व ओज ||
7.
लिंग वचन में दोष है, कारक से अनजान |
कह राहुल क्या बात है, सुंदर भाईजान ||
8.
कविता रचना है सुखद, रख ले बस तू मान |
हिंदी की बिंदी बड़ी, मत करना अपमान ||
9.
लिखना हो गर एक तो, पढ़ना और हजार |
तब रचना के भाव में, आती सरस निखार ||