वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
वो ही तो यहाँ, बदनाम प्यार को करते हैं।
समझकर जिनको सज्जन, हम प्यार करते हैं।।
वो ही तो यहाँ —————————-।।
करते हैं वो जुदा दिलों को, धर्म के नाम पर।
करते हैं वो सितम दिलों पर, शर्म के नाम पर।।
वो ही तो सरहद, मोहब्बत में खींचा करते हैं।
वो ही तो यहाँ —————————।।
पसन्द नहीं है उनको, अफ़साना दिल के प्यार का।
तोड़कर रस्मो- रिवाज को, बसाना घर प्यार का।
प्रेमियों के खूं से वो, उपदेश अपना लिखते हैं।
वो ही तो यहाँ —————————-।।
चाहते नहीं मिटाना वो, दूरियाँ भेदभाव की।
जलती हुई बुझाना, अग्नि यहाँ अलगाव की।।
वो ही तो फिर प्यार को, भगवान यहाँ कहते हैं।
वो ही तो यहाँ ————————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)