वो हमें कब
वो हमें कब शुमार करते हैं।
जब कि हम उनसे प्यार करते हैं।
छीनते चैन हैं वही दिल का,
जो भी ज़्यादा दुलार करते हैं।
उनको फ़ौरन जवाब देने में,
हम कहां कब उधार करते हैं।
हमको उनपर तो है मगर हम पर,
वो कहां ऐतबार करते हैं।
उनकी दिलजोई के लिए उनसे,
बात हम बार -बार करते हैं।
डॉ० फ़ौज़िया नसीम ‘शाद’