वो लड़कीं थी
इक अलबेली सबसे निरीली भोली भाली वो लडकी थी,
चाँद के जैसा उसका मुखड़ा वो लड़की शर्मीली थी,
तिरछी निगाहें पतली कमर बाल थे उसके नागिन जैसे,
उसकी सुन्दरता की क्या करू बयान नही हैं उसके जैसे,
कौन थी वो कहां से आयी कुछ भी नही पता मुझको,
उसकी भोली अदा को देख के उससे प्यार हो गया हमको,
हमसे लड़ती थी झगड़ती थी फिर वो रूठ जाती थी,
मेरे बिन रह नही पाती वो अक्सर हमको मानती थी,
कभी कभी मै कहता था उससे दूर मै तुझसे जाऊँगा,
रोती थी बिलखती थी मर जाऊंगी तुम बिन जी न पाऊँगी,
वो कहती थी जाना हैं दूर तुम्हे तो जहर हमे दे जाना तुम,
तेरे बिन नही कोई मेरा सच कहती हूँ सनम मेरे हो तुम,
बातों में सच्चाई थी उसके दिल में वो मेरे समाई थी,
मेरे सनम का नाम था आँसू दिल वो मुझसे लगाई थी,
प्यार के बन्धन में बध कर हम इक दूजे को प्यार किये,
समझ सके न समय के फेर को एक दूजे से दूर हुये,
प्यार तबसे हो नफरत दिल में आग लगा हैं मेरे,
कैसे कहूँ कह नही सकता समझ सकी न प्यार को मेरे,
दर्द ही दर्द भरा इस दिल में वो प्यार कहाँ से लाऊँ,
सारी दुनिया से हैं नफरत मुझको वो प्यार कहां से पाऊं,