वो लोग….
मुझसे मेरी कहानी सुनने में
ऐतराज हैं जिन्हें..
महफिलों में अक्सर
मेरा ही जिक्र किया करते हैं वो लोग…
मैं दर्द की नुमाइश नहीं किया करता
ये मेरे रकीब..
वो मेरे दर्द को आवारा कहते हैं
शायद उसे ही बेचकर शायर बना करते हैं लोग…
मुंतजिर पर अक्सर मेरा नसीब भटकर नाराज रहा,
मैं ठरहा रहा, मैं बिखरा रहा,
वो रूँह की छालों से ना-समझ अंजान रहे,
जो मेरे हर कदमों पर मुझे आवारा कहते हैं लोग…
#ks