वो मुझे अपना पहला प्रेम बताती है।
वो मुझे अपना पहला प्रेम बताती है।
मोहब्बत में महबूब के नए नए किस्से सुनाती है।।
उम्र में थोड़ी थोड़ी कच्ची है मुझसे।
प्रेम हृदय मन मे आशा के पुष्प खिलाती है!।
देखता हूँ उसे तो याद आता है मुझे।
कैसे नए प्रेम में प्रेमिका प्रेमी को संसार बताती है।।
इन छोटी छोटी खुशियों में खुश है वो।
हर रोज आशाओं के नए दीप जलाती है।।
समंदर की खामोशी देखी है उसने!
देखना है अभी मंजर जहां किश्तियाँ डूबती जाती है।।
उसे मेरा स्वभाव अच्छा लगता है।
मेरी स्वामिनी को बेहद खुशनसीब बताती है।।
मैंने उसे स्वतंत्र किया है जब से।
प्रेम में मुझे नए नए नाम बुलाती है।।
जो मैंने खोया है इस खुदगर्ज जहां में।
वो न खोए मैं चाहता हूँ,
घड़ी घड़ी मुझ पर नजर से ओझल होने का मुकदमा चलाती है।।