वो मिलकर मौहब्बत में रंग ला रहें हैं ।
वो मिलकर मौहब्बत में रंग ला रहें हैं ।
निगाहों से कितने सितम ढाह रहें हैं।
वो ख्वाबों में आकर यूं करते हैं बातें
ना जाने मुझे कितना तड़पा रहें हैं ।।
Phool gufran
वो मिलकर मौहब्बत में रंग ला रहें हैं ।
निगाहों से कितने सितम ढाह रहें हैं।
वो ख्वाबों में आकर यूं करते हैं बातें
ना जाने मुझे कितना तड़पा रहें हैं ।।
Phool gufran