वो भूलकर भी फिर भूल करते हैं
कल तल जो लोग झुककर सलाम करते थे हमको
वो आज सोचते , हाशिये पर धकेल दिया है हमको
वो भूलकर भी फिर भूल करते हैं धूल करते हैं ख़ुद
फिर आयेंगे चरणरज लौटते सलाम ठोकते हमको।।
?मधुप बैरागी