-वो भारत देश हैं मेरा, जिस पर जन्म लेकर किया मैंने सवेरा।
वो भारत देश हैं मेरा, जिस पर जन्म लेकर किया मैंने सवेरा।
वो अनोखा भारत भू हैं मेरा,,
उस पर किया मैंने रंग सवेरा,,
आँखों में दो माताओं को पाया,,
माँ ने भु पर चलना सिखाया,,
मैं तो केवल उसका अंश मात्र हूँ ,,
जिसने कण सा बनाया मुझे सुनेरा,,
वो भारत देश हैं मेरा…………………….. 1
उस माँ ने आँचल खिडकी खोली,,
फिर भी तुम तौड जाते हो डाली,,
रोजाना कितने उसमें क्षमा जाते,,
नये से खोल मिला दिये जाते,,
तुम तो केवल उस मुर्त की रती भरे से,,,
उस सुरत की परछाई का हो सवेरा,,,
वो भारत देश हैं मेरा………………………2
उस माँ वसुंधरा में सीता भी समायी,
जो दु:खी होते माँ के आँचल में समायी,,
जिस पर कितने न जाने ज्ञानी आये,,
उसी धरा ने अपने पवित्र आँचल में छिपाये,
ऐसे वीर बलवानी भी उसके कर्ज का ,,
खुदको अर्पण कर करते आँचल का ब्योरा,,
वो भारत देश हैं मेरा………………………3
उस माँ के धौरे में पुत-कपूत आये,,
फिर भी वो उनका दफन कर जाये,,
ए – भ्रष्टाचारियों तुम्हारे कर्मो ने अब,,,
मेरी माँ के ह्रदय में विष फैला आये,,
जिसने तुमका पालन – पोषण किया,,
उसकी सुरत पर करते हो पाप काघेरा,,
वो भारत देश हैं मेरा…………………….. 4
ओ नेताओं तुम कहते जनता के हो,,
शिखर पर ले जाने का वादा करते हो,,
मुझे तुम तो जनता के दु:ख का ,
कहीं पर भी हमदर्द नहीं बनते हों,,
तुम्हारी वाणी चंद रूपयो में बिकती हैं,,
इससे ज्वाला मेरी धडम, ये भारत हैं मेरा,
वो भारत देश हैं मेरा……………………. 5
जिसके आँचल की केवल सुरत कहलाते,,
तुम्हारे कर्मो से उस धरा पर बौझ बढाते,,
उसके क्रोध की आग तुमने भी देखी हैं
वो आग ज्वालामुखी, चक्रवात,, में बनाते,,
जिससे न जाने सजीव-निर्जीव मर जाते,,,
फिर भी सबकी हैं पालनहारी माँ वसुंधरा,,
वो भारत देश हैं मेरा……………………. 6
वो भारत देश हैं मेरा, जिस पर जन्म लेकर करते रंग सवेरा |
रणजीत सिंह “रणदेव” चारण
मुण्डकोशियां
7300174927