वो पेड़ को पकड़ कर जब डाली को मोड़ेगा
वो पेड़ को पकड़ कर जब डाली को मोड़ेगा
सुकुमार फूल को इतनी बेरहमी से तोड़ेगा
शौक़ तो नहीं शायद कुछ मजबूरीयां हीं रही होगी
नहीं तो कोई चिड़िया अपना ‘शजर’ क्यों छोड़ेगा
-केशव
वो पेड़ को पकड़ कर जब डाली को मोड़ेगा
सुकुमार फूल को इतनी बेरहमी से तोड़ेगा
शौक़ तो नहीं शायद कुछ मजबूरीयां हीं रही होगी
नहीं तो कोई चिड़िया अपना ‘शजर’ क्यों छोड़ेगा
-केशव