वो नींदों में आकर मेरे ख्वाब सजाते क्यों हैं।
वो नींदों में आकर मेरे ख्वाब सजाते क्यों हैं।
हर बार मेरी मोहब्बत को आज़माते क्यों हैं।
उसे पता तो है मेरे दिल की हकीकत फिर भी ।
रात दिन मुझको मोहब्बत में रुलाते क्यों हैं।।
Phool gufran
वो नींदों में आकर मेरे ख्वाब सजाते क्यों हैं।
हर बार मेरी मोहब्बत को आज़माते क्यों हैं।
उसे पता तो है मेरे दिल की हकीकत फिर भी ।
रात दिन मुझको मोहब्बत में रुलाते क्यों हैं।।
Phool gufran