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15 May 2024 · 1 min read

वो नसीबों का सिकन्दर हो न हो ।

(4)ग़ज़ल

—-” ‘ ” ” —–” ‘ ” “——” ‘ “—-

वो नसीबों का सिकन्दर हो न हो ।
कट रहे दिन सर पे छप्पर हो न हो।।

करके मेहनत चैन से वो सो रहे।
पास में उनके वो बिस्तर हो न हो।।

जब मिले सम्मान बाँटो प्यार तुम ।
सादगी हो, तन पे जेवर हो न हो।।

फ़र्ज़ तुम अपना निभाओ प्यार से ।
फिर तुम्हारे पास अम्बर हो न हो।।

जो है थोड़ा वो निवाला खा भी ले ।
क्या पता ये भी मयस्सर हो न हो।।

हम मुकद्दर से लड़ेंगे शान से ।
साथ मन में हौसला पर हो न हो।।

जीत लो तुम जग का दिल सद्कर्म से।
फिर ये प्यारा ज्योटी‘ मंज़र हो न हो।।

ज्योटी श्रीवास्तव( jyoti Arun Shrivastava )
अहसास ज्योटी 💞✍️

1 Like · 26 Views
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