वो नयनों के दीपक
याद आते हैं हमको वो भूले न भूलाए
वो नयनों के दीपक वो जुल्फों के साये
वो नयनों के दीपक……………..
कभी हम भी थे उनकी जिंदगानी
मगर आज बदली हुई है कहानी
वो ऐसी कहानी जो हमसे भूली न जाए
वो नयनों के दीपक……………..
बेपनाह मेहरबानी की थी हमने
दिलोजान तक चाहा था हमने
वो सूरत भोली जो हमसे भूली न जाए
वो नयनों के दीपक……………..
ऐसा नहीं है कि वो बेवफा हो
ऐसा नहीं है मेरी जाँ खफ़ा हो
वो खुदा को प्यारी हमसे भूली न जाए
वो नयनों के दीपक……………..
हमें याद हैं वो प्यार की बातें
‘विनोद’ तेरे इकरार की बातें
वो दिल में बसी है हमसे भूली न जाए
वो नयनों के दीपक……………..
स्वरचित
( विनोद चौहान )