वो नज़र…!!
एक मुद्द्त हुई ज़माने से जिसे देखा ही नहीं,
उसने आज मन भर के देखा मुझे…
समझ से परे थी वो नज़र,
ख़ता थी उसकी या थी कोई मेहरबानी…
अब दिल चाहता है… ख़ता समझ के माफ़ कर दूँ उसे
अगर मेहरबानी हुई तब…जाने क्या होगा…!
मन बदल कर कोई तोहफा नज़र करूँ उसे.. एक नज़र के बदले…
पर क्या दूँ उसे कुछ समझ नहीं आ रहा…
कुछ ऐसा ही देने का मन है जिस से उसकी सोच बदल जाये… जो कहती थी कभी….
कि… इस जनम मे हमारा मिलना नामुमकिन है..
और आज वो शायद नज़र मिलाकर..
दिल तक पहुंचने की साज़िश कर रही हो जैसे…!!
❤️Love Ravi❤️