“ वो दौर दिखा मौला “
वो दौर दिखा मौला इन्सान की ख़ूशबू हो,
जिन आखों में देखूं ईमान की खुशबू हो,
पाकीजा अजाओं में मीरा के भजन गूंजें,
नौ दिन के उपासन में रमजान की खुशबू हो,
मैं उसमें नज़र आऊ वो मुझमें नज़र आये,
इस जान की खुशबू में उस जान की खुशबू हो ,
वो दौर दिखा मौला इन्सान की ख़ूशबू हो,
जिन आखों में देखूं ईमान की खुशबू हो ,
मस्जिद की फिजाओं में महकार हो चन्दन की,
मंदिर की फिजाओं में लोबान की खुशबू हो ,
कोई इस दुनिया में बेनाम कहाँ होंगा,
हममें भी अगर उनके पहचान की खुशबू हो,
वो दौर दिखा मौला इन्सान की ख़ूशबू हो,
जिन आखों में देखूं ईमान की खुशबू हो ,
प्यार ही प्यार दिखे हर त्योहारों में,
रिश्तों में मीठे सी पकवान की ख़ुशबू हो,
वो दौर दिखा मौला इन्सान की ख़ूशबू हो,
जिन आखों में देखूं ईमान की खुशबू हो ,