*”वो दिन जो हम साथ गुजारे थे”*
“वो दिन जो हम साथ गुजारे थे”
वो दिन भी गुजर गए ये दिन भी गुजर जाएंगे,
बीते हुए दिन फिर से कहाँ लौट कर आते हैं।
भूले बिसरे यादों का सिलसिला थमता नहीं ,
बीत गए जो दिन अब उन पलों की याद सताती है।
यादों में बसाया था जिन्हें वो बड़ा दर्द देते गए,
बिछड गए संगी साथी अब कही मेरे पीछे ही रह गए ।
छोड़ दे यूँ ही उदास होना अभी तो नई पीढ़ी,
नए साथी बनाने जीवन फर्ज निभाना बाकी है।
बीते हुएँ वो पल कहा लोट कर आने वाले ,
वो दिन भी गुजर गए ये दिन भी गुजर जाने वाले हैं।
वो दिन भी गुजर गए जो बिताए थे साथ में,
बीते हुए दिन फिर लौट के नही आते हैं।
क्यूँ एक टीस सा दर्द देकर न जाने क्यों ये ,
भूली बिसरी यादों में ही सिमट जाते हैं।
अब न कोई संगी साथी पुराने जमाने के ,
नई जगह नए साथी की तलाश जारी है।
बीते हुए वो दिनों में चेहरों की खुशियाँ ,
क्या रंगत निखरती थी वो एहसास बाकी है।
न जाने क्यों बीते हुए उन हसीन पलों में ,
हँसते खिलखिलाते मुस्कान चेहरों पे बिखर जाते हैं।
शशिकला व्यास