वो तो शहर से आए थे
खेती करने को आसान काम कह रहे थे
सोच रहे थे सब जाने वो कहां से आए थे
वो जब अंगीठी को चूल्हा कह गए थे
हम भी समझ गए वो तो शहर से आए थे
सोंधी सोंधी खुशबू इस गांव की मिट्टी की
जाने उनको क्यों नहीं भा रही थी
डर रहे थे जब वो मिट्टी में हाथ लगाने से
हम भी समझ गए वो तो शहर से आए थे
था नहीं खेती का कोई अनुभव उनको
खेती पर बोलकर, वो विदेश भी हो आए थे
किताबें पढ़कर ही बन गए थे कृषि एक्सपर्ट वो
हम भी समझ गए वो तो शहर से आए थे
अपनी धुन में मगन है वो इतने कि
अनपढ़ किसान को अंग्रेज़ी में समझा आए थे
भाग खड़े हो गए थे चंद बारिश की बूंदों से
हम भी समझ गए वो तो शहर से आए थे
चल रहे थे ऐसे गांव की पगडंडियों पर
मानो वो दूसरे ग्रह से धरती पर आए थे
जब पकड़ लिया उन्होंने संकरे रास्ते पर हाथ मेरा
हम भी समझ गए वो तो शहर से आए थे
अभी देखी नहीं थी दोपहर की गर्मी खेतों में
वो सुबह सुबह ही खेतों से हो आए थे
जब दोपहर में चंद पलों में हो गई हालत खस्ता
हम भी समझ गए वो तो शहर से आए थे।