वो टूटता तारा भी कितनों की उम्मीदों का भार लिए खड़ा है,
वो टूटता तारा भी कितनों की उम्मीदों का भार लिए खड़ा है,
जिसे बस दो घड़ी मुस्कुराना है,
फिर अंधेरे की गोद में अपना अस्तित्व गंवाना है।
©®मनीषा मंजरी
Source- यादों की आहटें (coming soon)
वो टूटता तारा भी कितनों की उम्मीदों का भार लिए खड़ा है,
जिसे बस दो घड़ी मुस्कुराना है,
फिर अंधेरे की गोद में अपना अस्तित्व गंवाना है।
©®मनीषा मंजरी
Source- यादों की आहटें (coming soon)