वो जो हूबहू मेरा अक्स है
वो जो हूबहू मेरा अक्स है
मेरे शक्ल की सी हीं शक्ल है!!
जिसे फिर से जी रही हूँ मैं
मेरा गुज़रा कोई वक्त है!!
न खिजां कहीं उजाड़ दे
ये बहार ए बागां सब्ज़ है!!
उसे है सुकून न एक पल
कोई बात दिल में ज़ब्त है!!
मेरी मुश्किलें हैं बहुत बड़ी
मेरी ज़िंदगी बड़ी सख्त है!!