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5 Apr 2024 · 1 min read

वो जो हूबहू मेरा अक्स है

वो जो हूबहू मेरा अक्स है
मेरे शक्ल की सी हीं शक्ल है!!

जिसे फिर से जी रही हूँ मैं
मेरा गुज़रा कोई वक्त है!!

न खिजां कहीं उजाड़ दे
ये बहार ए बागां सब्ज़ है!!

उसे है सुकून न एक पल
कोई बात दिल में ज़ब्त है!!

मेरी मुश्किलें हैं बहुत बड़ी
मेरी ज़िंदगी बड़ी सख्त है!!

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