वो गिर गया नज़र से, मगर बेखबर सा है।
वो गिर गया नज़र से, मगर बेखबर सा है।
कोशिश है उसकी जारी, मगर बेअसर सा है।।
सब तर्जुमें हैं फर्जी, हर नजीर है खयाली। चल फिर तो रहा है, मगर वो मर सा गया है।।
“शून्य”
वो गिर गया नज़र से, मगर बेखबर सा है।
कोशिश है उसकी जारी, मगर बेअसर सा है।।
सब तर्जुमें हैं फर्जी, हर नजीर है खयाली। चल फिर तो रहा है, मगर वो मर सा गया है।।
“शून्य”