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8 Jul 2024 · 1 min read

वो खत मोहब्बत के जला आई हूं,

वो खत मोहब्बत के जला आई हूं,
कि मैं आज सारी यादें भुला आई हूं।

कोई मुझसे सवाल न पूछे क्योंकि,
मैं फिर एक नई चोट खा आई हूं।

क्या मिला मुझे कैसे कहूं ये,
कि मैं अपना सब कुछ गंवा आई हूं।

टूट गए वो सपने जो देखे थे कभी,
उन सपनों की लाश को ले जा कर दफना आई हूं।

कैसा इश्क था ये एक तरफा जाने,
उसे भूलकर इसकी कीमत चुका आई हूं।

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