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20 Jul 2022 · 1 min read

वो कौन है

जब लफ्ज़ सभी खो जाते हैं
चेहरे माटी हो जाते हैं
जब साँसें साथ नहीं देतीं
दिल भी पत्थर हो जाते हैं

जब लहू जिगर से बहता है
जीवन मृत्यु को सहता है
जब मन उलझा हो प्रश्नों में
वक़्त ही सब कुछ कहता है

जब आस के मोती टूटें हैं
आँखों से सपने छूटें हैं
जब उम्मीदों के लश्कर को
अज्ञात के साये लूटें हैं

जब भाग्य हमारा सो जाये
और सब बेमानी हो जाये
जब लगे कि दुनिया फ़ानी है
जाने किस पल क्या खो जाये

तब कौन है वो जो आता है
दुःख- सुख के पार दिखाता है
बिन बोले पल भर में ही जो
सब प्रश्नों को सुलझाता है

वो कौन है जो है कहीं नहीं
फिर भी है वो ही हर कहीं
जहाँ आकर उसको खो देते
पा भी सकते हैं उसे वहीं

जो संबल है हर हारे का
जो आसमां हर तारे का
हर भटकन की जो मंज़िल है
जो अमृत जीवन खारे का

ये उसकी दुनिया जिसमें हम
देखो तो खेल- खिलौने हैं
उसकी मर्ज़ी है पल-पल में
सच में हम कितने बौने हैं

सुरेखा कादियान ‘सृजना’

Language: Hindi
12 Likes · 4 Comments · 445 Views

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