✍️वो कहना ही भूल गया✍️
✍️वो कहना ही भूल गया✍️
…………………………………………//
मैं धीरे धीरे पिघल गया ।
शमा की तरह जल गया ।।
शहद की जुबां थी उसकी ।
मैं ख़ुद ब खुद संभल गया ।।
निम के पेड़ का ये शहर ।
मैं कड़वे घूँट निग़ल गया ।।
कुछ तो तज़ुर्बे है धूपछांव के।
वो मौसम की तरह बदल गया ।।
बातों से बात बन भी जाती ।
मगर वो कहना ही भूल गया ।।
…………………………………………//
✍️”अशांत”शेखर✍️
11/06/2022