वो इश्क की गली का
वो इश्क की गली का बेताब सा कुआं।
बेसब्र,बेतहाशा इक सिताब सा कुआं।
..वो इश्क की गली का बेताब सा कुआं।
@साहित्य गौरव
भरा अंगूरी अर्क से लबालब तह तक,
मदहोश किसी शायर की शराब सा कुआं।
..वो इश्क की गली का बेताब सा कुआं।
@साहित्य गौरव
बलखाती बहारों में तितलियों के साथ,
छलकाता अपने हुस्न का शबाब सा कुआं।
…वो इश्क की गली का बेताब सा कुआं।
@साहित्य गौरव
चांदनी रातों में चमकते सितारों के जैसे
बीच में उजला हुआ महताब सा कुआं।
…वो इश्क की गली का बेताब सा कुआं।
@साहित्य गौरव
उसके आने से,मैदानों में जान आ गई
रिमझिम वो बरस गया शादाब सा कुआं।
…वो इश्क की गली का बेताब सा कुआं।
@साहित्य गौरव
खूबसूरत उनके जिस्म के कैसे दीदार हो,
आड़ में हो जिसकी जो हिजाब सा कुआं।
…वो इश्क की गली का बेताब सा कुआं।
@साहित्य गौरव
छुप के मैने देखा उन्हे चिपमन की औंट से,
सफेद मखमली चमकदार बेदाग सा कुआं।
….मैं इश्क की गली का बेताब सा कुआं
@साहित्य गौरव