वो आवाज
अनजानीयॉ थी मुझमें की दुनिया बेसाज है ।
सुना जो आवाज तेरा तो कयामत सी आज है ।।
जो रिस्ते सदियों टूट गये थे ।
यू ही लगता है कि आज वो मेरे पास है ।।
जिस आवाज से फिर भी बन सकूँगा आदमी ।
वो दर्द दिल की दवा अब तेरे पास है ।।
चाँद भी शर्मायेगा इस तेरे रूप पर ।
प्यार से भी प्यारी ये तेरी आवाज है ।।
कोई बतलाये उनको कि क्या हुआ है मुझे ।
उनके आने की अब भी मुझे आस है ।।
मुर्दा समझ के मुझे कही वो ना चल पड़े ।
जा के कह दो उन्हें इस लोथ में साँस है ।।
महेंद्र कुमार राय
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