वेद पुराण और ग्रंथ हमारे संस्कृत में है हर कोई पढ़ा नही पाएं
वेद पुराण और ग्रंथ हमारे संस्कृत में है हर कोई पढ़ा नही पाएंगे। पर उसको आज कल के ध्रमशास्त्रीयो ने आपने फायदे के लिए सही अर्थ को ट्रांसलेट ना करके ट्रांसक्रिएट करके बनाता और बनाना शुरू कर दिया है।
शायद यही दिक्कत है वेद शास्त्र कोई पढ़ता नही है पर हम जिनसे सुनते है वो जो बताते है हम वही मान लेते है।
धर्म का सही अर्थ का तो नही पता होगा किसी को आज के वक्त में पर ट्रांसक्रिएटेड मिथ्या से सब परिपूर्ण है।
गुरुओं को धर्मशास्त्रियों को सुने पर उनके वाक्यांश के साथ साथ उस पुस्तक को भी पढ़े जाकर , ताकि आपको विश्वास रहे ट्रांसलेटेड और ट्रांसक्रेटेड अर्थ में फर्क।
ग्रंथ जीवन का सार है। पढ़े उनको सुनने के साथ भी। क्योंकि सही अर्थ सही समझ और सही नजरिया देता है।
फर्क सिर्फ नजरिया पड़ता है
वरना आंखे तो सब पर है।