वेद-कथा (मुक्तक)
वेद-कथा (मुक्तक)
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नजरिए को जरा अपने चलो चलकर बदलते हैं
अभी भी ढेरों भ्रम ही हैं विचारों में जो पलते हैं
हमें यदि सर्व-व्यापक ब्रह्म को सचमुच समझना है
जहाँ पर है कथा वेदों की उस ही ओर चलते हैं
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रचयिता:रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर(उ.प्र.)9997615451