वेदना वेदना की
मासूम दिल मायूस है, छली दुनिया देख
मानव का घिनौना वेश,मानवता हँसती देख
मासूम दिल स्तब्ध है,व्यथित है,व्याकुल है
पतन होता समाज की नैतिकता देख
सपने देखते मासूम दिल की परियाँ
सुरक्षित नही कहीं भी देख
भयाक्रांत है मन ,नृशंस ह्त्या मोमिता की देख
समाज मे नही गूंजती उनकी पीड़ा ,चीख
राजनीति का खेल गंदा देख
रो रहा मेरा मासूम दिल,क्या खो रहा इंसान
क्या पा रहा,किधर वो जा रहा
आँखों मे धंसे उसके चश्मे के शीशे सा,
काश ! सभी मे धँस पाये उनकी तड़प
न्याय कब मिलेगा देख
जब तोड़ा गया उसके पेल्विक गर्डल
टूट गई आज आमानवता की सारी हदें देख
कब न्याय और सम्मान मिलेगा
हैवानियत से चूर करते स्त्रीत्व को
लहू जो बह रहा भंग अंग से देख
हम तो जिंदा होकर भी मरे हुए है
संवेदनाओं से परे हुए है
हम लाश हो गए जख्म लाश पर जिंदा देख
कुदरत तुम्हे सिखाएगी स्त्री प्रकृति है स्वयं में
एक दिन बीभत्स तूफान लाएगी देख।
वेदना की यही है वेदना देख।
पूनम समर्थ (आगाज एं दिल )