*”वेक्सीनेशन”*
कोरोना महामारी काल के संक्रमण से बचने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों ने वैक्सीन बनाई है।जिसे हर उम्र के लोगों के लिए अलग अलग जगहों पर टीकाकरण केंद्र बनाया गया है।भारत सरकार द्वारा सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है।
हमने वेक्सिनेशन का पहला डोज लगवा लिया था और दूसरा डोज पच्चासी दिनों के अंतराल के बाद उस दिन की तारीख दी गई थी।
वेक्सिनेशन का दूसरा डोज लगवाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया जिस दिन वैक्सीन लगवाने जाना था सुबह दैनिक क्रियाकलापों के बाद जल्दी से चाय नाश्ता कर घर से निकलने की तैयारी हो गई।
पहला काम वेक्सिनेशन का बाकी सभी कार्य बाद में ऐसा सोचकर तैयार होकर जहाँ केंद्र दिया गया था वहाँ पर पहुँच गए।
उस केंद्र में पहले से ही दो लंबी कतार लगी हुई थी दस बजे ही तेज धूप होने लगी थी छोटा सा टीन का शेड बना हुआ था अब उस लंबी लाइन में खड़े हो गए जब हमारा नम्बर आया तो उसने आधार कार्ड व पहला डोज वेक्सिनेशन का रजिस्ट्रेशन नंबर मांगने लगा ,रजिस्टर में नाम पता व आधार कार्ड का नम्बर लिखकर ही अंदर जाने की अनुमति दी जा रही थी।
जल्दबाजी में आपाधापी में आधार कार्ड घर पर ही भूल आये थे।
पतिदेव आधार कार्ड लेने घर वापस आये उन्होंने कहा – आप लोग किनारे खड़े हो जाइए भीड़ जमा होते जा रही थी अब घबराहट होने लगी थी।
आधार कार्ड आने के बाद पुनः लाइन के अनुसार अपना नम्बर दिखाने लगे तो कुछ लोग आपत्ति उठा कहने लगे फिर से लाइन में लगाकर आइए ….आप लोग बीच में कैसे आ गए …हमने कहा हम लाइन में ही खड़े हुए थे हमारा नम्बर आ चुका है दरअसल आधार कार्ड का नम्बर नोट करवाना था।
बड़ी मुश्किल से जब वेक्सीन लगवाने अंदर जाने लगे तो हंगामा शुरू हो गया भीड़ बहुत बढ़ गई थी।अब न किसी को अंदर जाने की अनुमति दे रहे हैं और न ही जो व्यक्ति अंदर वेक्सिनेशन के लिए गया है वो बाहर आ रहा है।सभी एक दूसरे के आसपास ऐसे खड़े हुए हैं कोई सामाजिक सुरक्षा दूरी नही है।
ऐसा लग रहा है मानो किसी मेले में आये हो …धक्का मुक्की हो रही थी, अपने अपने लाइन में ऐसे सटे हुए खड़े हुए हैं जैसे जल्दी से अपना नम्बर आ जाये काम खत्म बाकी किसी को किसी की परवाह नही है। जिस कोरोना संक्रमण से बचने के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है वहाँ कार्यकर्ता मौजूद होने के बाबजूद कोई किसी की नही सुन रहा है।
अब कार्यकर्ता उपस्थित लोगों को कहने लगे कि जब ओटीपी नम्बर मोबाईल फोन पर आएगा तभी उन लोगों को नाम से बुलाया जाएगा …तभी सब अंदर वैक्सीन लगवाने आये।
ऐसी स्थिति में वेक्सिनेशन के लिए ना कोई अंदर जा रहा था और ना ही कोई बाहर निकल पा रहा है भीड़ इतनी अधिक हो गई लोग एक दूसरे पे चिल्ला रहे थे भड़क उठे थे।सभी को वेक्सिनेशन की जल्दी थी चाहे जैसे भी हो आनन फानन में वेक्सीन लग जाये और घर जाए ये सोचकर सभी परेशान हो रहे थे।
वेक्सिनेशन लगवाने की जगह भी इतनी छोटी सी थी मात्र एक या दो व्यक्ति वहाँ से निकल सकता था कमरे की दो खिड़कियों से जो रोशनी आ रही थी उसी में एक लड़का कप्यूटर आपरेटर का काम कर रहा था उसे भी कुछ समझ नही आ रहा था ।वैक्सीन लगवाने के लिए एक लड़की आई थी वही उसे लड़के को कुछ तरीका बतलाया तब कहीं जाकर वो कप्यूटर चल पाया था।
आखिरकार जैसे तैसे हमारा नम्बर आया तो उसमें भी झड़प होने लगी अंदर बारह लोग एक साथ घुस गए अब नर्स भी गुस्सा करने लगी थी धक्का मुक्की कर जब कुर्सी पर बैठ वैक्सीन लगवाने लगे तो नर्स कहती है ऐसे वेक्सिनेशन से क्या फायदा जब इतनी भीड़ जमा करने के बाद चिल्लाने के बाद कोई दूरी नही बरत रहे हो तो कोई वेक्सीन लगवाने का मतलब ही नही है।
और नर्स ने इंजेक्शन की सुई इतनी जोर से चुभो दिया बहुत दर्द होने लगा था सभी को ऐसी ही लगा रही थी आखिर एक नर्स इतने सारे लोगों को वेक्सिनेशन लगानी थी।परेशन होकर वह भी झल्लाने लगी थी।
वेक्सिनेशन के बाद जैसे तैसे भीड़ से जब बाहर निकले तब राहत मिली।ऐसा लगा मानो बहुत बड़ा जंग लड़ कर बाहर आ रहे हो ,कुछ देर बाहर आकर वही छोटा सा पार्क बना हुआ था वहाँ बैठकर सेनेटाइज किया चंद मिनट रुकने के बाद घर वापस लौट आये थे।
घर आने के बाद सभी चीजें सेनेटाइज किया कपड़े बदलने के बाद ही घर के दूसरे अन्य कार्यों को किया।
कोरोना काल के संकमण में अभी खतरा टला नही है लेकिन हमें एहतियात बरतने के लिए मास्क लगाना जरूरी है दो गज की दूरी बनाकर रखना जरूरी है।ऐसी जगह जहाँ भीड़भाड़ हो न जाये तो बेहतर होगा।ये सभी नागरिकों का कर्त्तव्य व जिम्मेदारी है। खुद भी सावधानी बरतें और दूसरे लोगों को भी जागरूक कर सर्तक रहने के लिए जानकारी देते रहे।
जहाँ टीकाकरण केंद्र हो वहां की कार्यवाही प्रणाली सही तरीके से समुचित व्यवस्था हो।
प्रमुख सचिव कार्यकर्ता उपस्थित हो तथा उचित मार्गदर्शन में सभी नागरिकों का ध्यान रखते हुए वेक्सिनेशन हो।लापरवाही असुविधा जनक केंद्र में धक्का मुक्की से लोगो के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है।
एक दूसरे के सहयोग से ही अच्छे स्वास्थ्य व वेक्सिनेशन का सही परिणाम सामने आ सकता है अन्यथा आप स्वयं संक्रमित हो दूसरे को भी संक्रमण फैलाने से क्या फायदा होगा।
शशिकला व्यास✍
स्वरचित मौलिक रचना