वृद्धावस्था
वृद्धावस्था ना कोई व्यवस्था
उम्र का वो पड़ाव है ।
मन से मजबूर तन से कमजोर
देता नहीं शरीर साथ ।
ना अब संयुक्त परिवार,
ना पोते- पोती साथ हैं।
सिर्फ एकागीपन साथ है ।
स्थिरता का वो पहर हैं ।
जिसमें साथ की जरूरत है
ये वो पड़ाव जिसे देख – रेख की है जरूरत I
पर ना कोई साथ है।
वृद्धावस्था बड़ा खराब
रोग , बीमारी,
अतीत का अनुभव साथ
वर्तमान उपेक्षा का शिकार ।
_ डॉ. सीमा कुमारी, बिहार (भागलपुर) दिनांक10-1-022, स्वरचित रचना है जिसे आज प्रकाशित कर रही हूँ ।