वृक्ष बड़े उपकारी होते हैं,
वृक्ष काट के कागज बनाए,
कागज पर कविता सजाई।
एक तुक्ष्य कविता के कारण,
वृक्ष ने अपनी जान गवाई।।
ऐसे वृक्ष यदि कटते रहेंगे,
वन दावानल में जलते रहेंगे।
जब वायु दूषित हो जायेगी,
कैसे किसी के प्राण बचेंगे।।
वृक्ष बड़े उपकारी होते है,
मानव की सेवा करते है ।
फल,छाया, और शुद्ध वायु,
सदा निशुल्क प्रदान करते है।।
उस वृक्ष को मनुज काट रहा है,
खुद कुठार पांव में मार रहा है।
प्रकृति का दोहन के कारण,
अब तो विनाश पुकार रहा है ।।
सवाल करेंगी पीढ़ियां हमसे,
तुमने खुद कितने वृक्ष लगाए है ।
जल दूषित,वायु भी दूषित,
क्यूं ये दूषित परिवेश बनाए है ।।
अच्छा भविष्य यदि देना चाहो,
तो जल को सदा बचाना तुम।
अपने जीवन में कम से कम,
दो वृक्ष अवश्य लगाना तुम ।।
अनूप अम्बर।।
स्वरचित/मौलिक