“वृक्षारोपण ही एक सफल उपाय”
आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या प्रदूषण बन गई है चाहे वह किसी प्रकार का प्रदूषण हो हमारे देश की हरी भरी धरती आज विशालकाय अट्टालिकाओं में तब्दील होती जा रही है । हम लगातार भौतिक प्रगति के पथ पर अग्रसर हो रहे है जिसे अपनी बड़ी उपलब्धि मानकर ढ़िढोरा पीटने से भी नहीं चूकते,साथ ही उसे हम स्टेटस का सिम्बल मानते है हमे विचार करना चाहिए कि जिस शस्य श्यामला धरती को हम अपनी माता कहते है आज उसकी यह स्थिति देखकर हमे लेश मात्र भी संकोच नही होता, यह तो वही बात हुई कि जीवित माता पिता को सही से खाना न देकर बाद में उनके नाम पर भंडारे और तर्पण किये जाए । आज का समाज पढ़ा लिखा प्रबुद्ध समाज है सबको अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, सारा विश्व आज प्रदूषण के विषय पर एक प्लेटफार्म पर एकत्र हो रहा है |ऐसी स्थिति में हमे अपनी जिम्मेदारी स्वयं निर्धारित करनी होगी। हमे देश के ऊपर सबसे बड़े खतरे ग्लोबल वार्मिग को रोकना है जिसके लिए अपनी वन सम्पदा को बचाना होगा इसी कड़ी में हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री जी ने डिजटल इंडिया की योजना को लाकर सराहनीय कार्य किया है।
पेपर लेस काम होने से हमारी वन संपदा का संरक्षण सुनिश्चित होगा ।आज हमारे बीच तरह-तरह की बीमारियों के फैलने का मुख्य कारण प्रदूषण ही है, जो हमे लगातार प्रभावित कर रहा है इस सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने या कम करने के लिए सबसे अच्छा उपाय वृक्षारोपण कारगर सिद्ध हो सकता है आज जिस गति से पेड़ो की कटाई हो रही है अगर आगामी समय मे सचेत न हुआ गया तो वह दिन दूर नही जब मनुष्य अपने हिस्से की आधी जिन्दगी भी नहीं जी पाएगा| वृक्ष हमे अपनी पूरी जिंदगी कुछ न कुछ देते रहते है हम इंसान होकर पेड़ को कंकड़ मारते है और वह हमें उसके बदले अपनी डाल से टूटे हुए फल देते है यही तो त्याग है यही परोपकार को परिभाषित करता है और हम मनुष्य क्या करते है ? बिना स्वार्थ के तो हम किसी से भी उसका हालचाल भी नही पूंछते । हमे पेड़ो से सबक लेना चाहिए क्योकि प्रकृति का सबसे बड़ा विध्वंसक प्राणी मनुष्य माना गया है प्रकृति मनुष्य को अपने अनुसार ढालना चाहती है जबकि मनुष्य प्रकृति को अपने अनुसार बदलना चाहता है और इसी उहापोह में हम मानवो द्वारा प्रकृति को अपार क्षति पहुचाई जा रही है जिसका खामियाजा बड़ी-बड़ी प्राकृतिक आपदाओं के रूप में हमे भुगतना पड़ता है लेकिन हम फिर भी सीख नही लेते । आखिर किस चीज का घमंड है मनुष्य को अपनी वैज्ञानिक उन्नति का, या अपने खुरापाती दिमाग का, जिसके दम पर हम ईश्वर के बनाए प्राकृतिक नियमों को बदलने के लिए उद्धत हो जाते है हमे यह नही भूलना चाहिए जहां पर विज्ञान काम करना बंद कर देती है वहां प्रकृति अपना काम करती है इसलिए हमें संकल्प लेना चाहिए कि हर व्यक्ति को अपने जीवन मे कम से कम एक वृक्ष अवश्य लगाना है
और उसकी पूरी सेवा सुश्रुषा के साथ फलोत्पादन तक ले जाना है जिससे हमारे न रहने पर भी हम समाज के लिए वृक्ष के रूप में एक अमूल्य निधि दे जाए जो हमे सदैव जीवित बनाए रखे।
अमित मिश्र
शिक्षक
जवाहर नवोदय विद्यालय
रामपुर उत्तर प्रदेश