*वृंदावन बुलाता है 【भक्ति-गीत】*
वृंदावन बुलाता है 【भक्ति-गीत】
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चले आओ मदनमोहन , कि वृंदावन बुलाता है
{ 1 }
गए हो जब से तुम यमुना नदी तट पर उदासी है
तुम्हारे प्रेम – रस की रेत गोरी – श्याम प्यासी है
सदा ही पूछते हैं वृक्ष कब बंसी बजाओगे
मधुर संगीत स्वर-लहरी में कब सुध-बुध भुलाओगे
तुम्हारा रास आलौकिक अनूठा याद आता है
चले आओ मदनमोहन ,कि वृंदावन बुलाता है
{ 2 }
तुम्हारा रूप सुनते अब सुदर्शनचक्र – धारी है
हृदय की चेतना से अब हुआ मस्तिष्क भारी है
तुम्हें कब याद है गौओं का जंगल में चराना अब
तुम्हें कब याद माखन का चुराकर हँस के खाना अब
जो खोया नाद-अनहद बाँसुरी का दिव्य नाता है
चले आओ मदनमोहन , कि वृंदावन बुलाता है
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451