Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Nov 2021 · 3 min read

वी वांट जस्टिस (हास्य व्यंग्य)

आम आदमी बोला “वी वांट जस्टिस”( हास्य-व्यंग्य )
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
सड़क पर चलता हुआ आम आदमी मिला । मैंने पूछा “क्यों भाई ! तुम्हें न्याय चाहिए कि नहीं चाहिए ?”
वह क्षण भर के लिए भौचक्का रह गया। उसे उम्मीद नहीं थी कि कोई उससे पूछ सकता है कि तुम्हें न्याय चाहिए । फिर कहने लगा “क्या बात हो गई साहब! आज तक तो कभी किसी ने नहीं पूछा ?”
मैंने कहा “तुम्हें नहीं पता ,इस समय सब लोग न्याय पाने के लिए नारे लगा रहे हैं ।”
आम आदमी कहने लगा” साहब ! हम तो सुबह को मॉर्निंग वॉक पर आए हुए हैं। हमने तो इस बारे में कुछ सोचा ही नहीं।”
मैंने कहा “यही तो दिक्कत है तुम्हारे साथ । तुम लोग कभी अपने लिए सोचते ही नहीं ।अगर 10 -15- 20 लोग भी मिलकर वी वांट जस्टिस …वी वांट जस्टिस का नारा लगाने लगे तो तुम्हारी तरफ ध्यान आकृष्ट होगा और तुमसे जाकर पूछा जाएगा कि क्यों भाई तुम्हें काहे का न्याय चाहिए।”
वह बोला “साहब ! हमें तो बड़ी जल्दी है। सोच रहे हैं कि 10-15 मिनट में टहल कर घर वापस जाएं ।”
“बस यही तो तुम लोगों की दिक्कत है। काम से काम रखते हो और आलतू- फालतू के बारे में कुछ नहीं सोचते । देखो सबसे पहले एक संगठन बनाओ । संगठन बनाने के बाद फिर यह सोचो कि नारा क्या लगाना है। अपनी माँगें बैठकर तय करो ,कौन-कौन सी तुम्हारी माँगे हो सकती हैं।”
” हमारी तो कोई माँग है नहीं।”
मैंने कहा” यह कैसे हो सकता है कि तुम्हारी कोई माँग न हो। जरा सोचो तुम सुबह टहलने के लिए जा रहे हो ,क्या तुम्हें साफ-सुथरी सड़क मिल रही है ?”
वह बोला “नहीं ”
मैंने कहा” क्या तुम्हें टहलने के लिए एक अलग फुटपाथ उपलब्ध हो पाया है?”
वह बोला “नहीं”
मैंने कहा “इसी को तो तुम्हारे साथ नाइंसाफी होना कहते हैं। अब तुम्हें वी वांट जस्टिस कहने का पूरा अधिकार है और तुम कह सकते हो।”
वह जो मरियल अंदाज में मॉर्निंग वॉक कर रहा था ,सहसा कमर सीधी करके खड़ा हो गया। मैंने कहा” अकेले तुम्हारे खड़े होने से कुछ नहीं होगा । यह जितने लोग मॉर्निंग वॉक कर रहे हैं, इन सबको यही बात समझाओ ।फिर देखो कितनी बड़ी क्रांति हो जाएगी।”
उसने सब को समझाना शुरू किया ।कई लोगों ने कहा” बात तो सही है , लेकिन हमें कौन सा नारेबाजी करने के लिए यहाँ आना है । 10-20 मिनट के लिए टहलना है और फिर चले जाना है ।हमें वी वांट जस्टिस नहीं चाहिए ।”
वह आम आदमी निराश हो गया ।बोला यहाँ तो कोई भी वी वांट जस्टिस नहीं चल पा रही।”
मैंने कहा “कोई चिंता मत करो। दोपहर को 12:00 बजे सड़क पर आना और वहाँ वी वांट जस्टिस की तलाश करना।”
मेरे कहे अनुसार वह दोपहर 12:00 बजे नगर की व्यस्ततम सड़क पर आया। रास्ते में जाम था । मैंने कहा “अभी तुम कहाँ पर हो ? क्या यह जाम तुम्हारे कारण है ?”
वह बोला” नहीं ! मैं तो सड़क पर पैदल चल रहा हूँ।”
मैंने कहा” फिर किसके कारण है?”
वह बोला” नम्बर एक तो लोगों ने अपने शटर आगे बढ़ा रखे हैं।, इस कारण है।
दूसरा कारण शटर के आगे दुकानदारों का सामान रखा हुआ है ।
तीसरा कारण नालियों पर पत्थर नहीं पड़े हैं और वह स्थान चलने योग्य नहीं है ।
चौथा कारण स्कूटर मोटरसाइकिल सड़क पर खड़ी हुई हैं।
पाँचवा कारण प्रशासन की ओर से पार्किंग की कोई व्यवस्था बाजारों में नहीं है।”
” बस इससे ज्यादा तुम्हें और क्या चाहिए ? वी वांट जस्टिस के लिए पर्याप्त आधार है । उठो और नारा बुलंद कर दो । धरना नहीं देना है ,वरना मुकदमा ठोक दिया जाएगा। केवल वी वांट जस्टिस की तख्ती हाथ में लेकर आगे बढ़ते जाना है । फिर देखो अखबार वाले , मीडिया चैनल वाले – सब तुम्हारी आवाज को आगे बढ़ाएंगे और तुम्हें न्याय जरूर मिलेगा।”
पाठकों ! मेरा काम आम आदमी को केवल समझाना है कि भैया न्याय तुम्हें भी चाहिए । नारा लगा दो – वी वांट जस्टिस …..अब मैं जितना समझा सकता था , उतना समझा दिया। आगे आम आदमी की मर्जी । जय राम जी की।
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
लेखक: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 761 5451

478 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
चलो चलो तुम अयोध्या चलो
चलो चलो तुम अयोध्या चलो
gurudeenverma198
3360.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3360.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
ये नज़रें
ये नज़रें
Shyam Sundar Subramanian
आदमी सा आदमी_ ये आदमी नही
आदमी सा आदमी_ ये आदमी नही
कृष्णकांत गुर्जर
मोहब्बतों की डोर से बँधे हैं
मोहब्बतों की डोर से बँधे हैं
Ritu Asooja
एकाकीपन
एकाकीपन
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
डगर जिंदगी की
डगर जिंदगी की
Monika Yadav (Rachina)
आप किसी का कर्ज चुका सकते है,
आप किसी का कर्ज चुका सकते है,
Aarti sirsat
जिंदगी
जिंदगी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
किस्मत की लकीरें
किस्मत की लकीरें
umesh mehra
*छाई है छवि राम की, दुनिया में चहुॅं ओर (कुंडलिया)*
*छाई है छवि राम की, दुनिया में चहुॅं ओर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
तेरे इंतज़ार में
तेरे इंतज़ार में
Surinder blackpen
नदी तट पर मैं आवारा....!
नदी तट पर मैं आवारा....!
VEDANTA PATEL
About [ Ranjeet Kumar Shukla ]
About [ Ranjeet Kumar Shukla ]
Ranjeet Kumar Shukla
अक्ल का अंधा - सूरत सीरत
अक्ल का अंधा - सूरत सीरत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रिमझिम बरसो
रिमझिम बरसो
surenderpal vaidya
मुझे मालूम है, मेरे मरने पे वो भी
मुझे मालूम है, मेरे मरने पे वो भी "अश्क " बहाए होगे..?
Sandeep Mishra
ताक पर रखकर अंतर की व्यथाएँ,
ताक पर रखकर अंतर की व्यथाएँ,
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
बाबा मुझे पढ़ने दो ना।
बाबा मुझे पढ़ने दो ना।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मुझे क्या मालूम था वह वक्त भी आएगा
मुझे क्या मालूम था वह वक्त भी आएगा
VINOD CHAUHAN
आकाश से आगे
आकाश से आगे
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मसला ये नहीं कि कोई कविता लिखूं ,
मसला ये नहीं कि कोई कविता लिखूं ,
Manju sagar
मुझे क्रिकेट के खेल में कोई दिलचस्पी नही है
मुझे क्रिकेट के खेल में कोई दिलचस्पी नही है
ruby kumari
खजुराहो
खजुराहो
Paramita Sarangi
"नए पुराने नाम"
Dr. Kishan tandon kranti
किस दौड़ का हिस्सा बनाना चाहते हो।
किस दौड़ का हिस्सा बनाना चाहते हो।
Sanjay ' शून्य'
❤️🌺मेरी मां🌺❤️
❤️🌺मेरी मां🌺❤️
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
एक महिला की उमर और उसकी प्रजनन दर उसके शारीरिक बनावट से साफ
एक महिला की उमर और उसकी प्रजनन दर उसके शारीरिक बनावट से साफ
Rj Anand Prajapati
दूसरी दुनिया का कोई
दूसरी दुनिया का कोई
Dr fauzia Naseem shad
दीदार
दीदार
Vandna thakur
Loading...