वीर सावरकर 【गीत 】
वीर सावरकर 【गीत 】
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वीर विनायक दामोदर सावरकर जिंदाबाद
(1)
कष्ट सहा काले पानी का ,कोल्हू को पेला था
कालकोठरी में यम से ,वह वीर युद्ध खेला था
कोड़ों से पीटे जाते थे ,कभी बेंत खाते थे
कभी पेट भर जाता ,अक्सर भूखे सो जाते थे
करो कूदने की सागर में ,घटना की फिर याद
वीर विनायक दामोदर सावरकर जिंदाबाद
(2)
सत्तावन को आजादी का पहला युद्ध बताया
खोया .हुआ शौर्य भारत में फिर से ऐसे आया
दस्तावेजों के बल पर प्रामाणिक थी यह गाथा
हुआ हिंद का इस गाथा से ऊँचा दुगना माथा
यह था तथ्यों के बल पर ,इतिहासों से संवाद
वीर विनायक दामोदर सावरकर जिंदाबाद
(3)
बने राष्ट्रभाषा हिंदी अनुपम अभियान चलाया
जेल सेल्यूलर में हिंदी के सम्मुख शीश झुकाया
यह सावरकर देवनागरी लिपि के थे अनुयाई
यह सावरकर राष्ट्र-एकता की जिनमें गहराई
सबको सिखलाई थी हिंदी भर-भर कर आह्लाद
वीर विनायक दामोदर सावरकर जिंदाबाद
(4)
आजादी जब मिली कहा यह खंडित क्यों है आई
यह विभीषिका महाविभाजन की भारत पर छाई
दुखी हृदय था हिंदू-हित-चिंतक अवसाद भरा था
भारत माता का सपूत था हिंदू हृदय खरा था
चखा न जिसने आजादी के मीठे फल का स्वाद
वीर विनायक दामोदर सावरकर जिंदाबाद
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451