वीर तुम बढ़े चलो…
वीर तुम बढे चलो, कर्मवीर तुम बढ़े चलो,
बुद्ध,कबीरा,रविदास,और भीम की संतान हो,
बिरसा,उधम,झलकारी और फूलन जैसी शान हो ।
आवाज बुलंद करते चलो,उलझनों से सुलझते चलो…
वीर तुम बढ़े चलो …
पंचशील की शिक्षाओं का जीवन में आत्मसात हो,
बुद्ध के संदेशों का दुनिया में प्रचार करो,
करुणा, शील और प्रज्ञा का ही प्रसार हो ।
मानव – मानव में कभी न मतभेद करो …
वीर तुम बढ़े चलो….
कबीरा के छंद, सोरठा, दोहा जनमानस में फैला दो,
सबद,रमैनी और चौपाइयों का अर्थ बता दो,
कबीर की अमृतवाणी को घर -घर में पहुंचा दो ।
जातिविहीन हो मानवधर्म तुम ऐसी बात करो …
वीर तुम बढ़े चलो…
शासन देवानप्रिय अशोक ,शिवाजी और साहू जैसा हो,
समता,बंधुत्व, प्रेमभाव और भाईचारे का पैगाम हो,
अशोक का इतिहास और शिवाजी के शौर्य का नाम हो ।
बनाकर नया इतिहास फूले,साहू,पेरियार की बात करो…
वीर तुम बढ़े चलो….
सदियों का संताप झेला है, अन्याय की बगावत करो,
पैगाम संविधान का लेकर, न्याय की तुम बात करो,
आएंगे नित नए जलजले, उन जलजलों का नाश करो ।
लाख दुशावरियां हों मगर, सामना निडर होकर करो…
वीर तुम बढ़े चलो….