वीरों से ही ये सावन है ,वीरों से ही ये बसंत
देशभक्त जैसा इस जग में, है महान न कोई संत
वीरों से ही ये सावन है ,वीरों से ही ये बसंत
जीवन -मृत्यु से हर सैनिक, की होती पक्की यारी
बीत जवानी सारी जाती, खेल खेलते गोलीबारी
जैसे ये सीमा पर करते, अपनी भारत माँ की रक्षा
हमको भी करना ही होगा, दिल से बैर भावों का अंत
वीरों से ही ये सावन है ,वीरों से ही ये वसंत
ये नफरत की सभी पतंगे जब गिर कट कटकर जाएंगी
तब सम्बन्धों में अपनेपन की गरमाहट भर जाएंगी
एक धर्म ही पूरे जग में मानवता का हो जायेगा
सद्भावों की कोंपल जैसा, फूटेगा तभी प्रेम अनंत
वीरों से ही ये सावन है ,वीरों से ही ये वसंत
देश प्रेम से ओतप्रोत होगा सबके मन का आँगन
अगर देश पर अर्पण कर दें, हम सब भी अपना तन-मन
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई में होगा जब भाईचारा
भारत माँ के जयकारों से गूंज उठेगा ये दिग-दिगंत
वीरों से ही ये सावन है ,वीरों से ही ये वसंत
31-01-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद