विषैली हवाऐं
शक शुबहा पर चल रही है दुनिया
अब जिन्दगी आम न रही
मंदिर का पता पूछो तो
लोग पूछते हैं वहाँ क्यों जाओगे
मस्जिद की तरफ जाओ तो
कुर्ता पैजामा टोपी जाँची जाऐंगी
गिरजे गुरूद्वारे मंदिर मस्जिद
पूजा अर्चना नमाज प्रार्थना
गुरूवाणी भजनकीर्तन
गीता कुरान बाइबिल गुरूग्रंथ
सभी कुछ तो बदल गये
पुस्तक के पन्नों में बम
नारियल के चढ़ावे में बम
फूल की माला में बम
चावल के अक्षतों में बम
सभी जगह तो अब
आग है खतरा है हादसा है
मौत के पुख्ता आसार हैं
मौत ही चढ़ावा है
मौत ही प्रसाद है
हवाओं में चारों तरफ
अब जीवन नहीं
मौत के जीवाणु हैं
शक और भय के विषाणु हैं
मौत का बारूद घुला है
संदेह है असमंजस है
मौत का बोलबाला है।
-✍श्रीधर.