विषय – स्वाधीनता
विषय – स्वाधीनता
शीर्षक – सदा रहे सबकी
विधा – स्वछंद – अतुकांत
लेखक – डॉ अरुण कुमार शास्त्री
स्वाधीनता को चाहती हैं आँखें ।
हर किसी के दिल में बसती हैं।
यह एक सपना है, एक इच्छा है ।
हर व्यक्ति के लिए एक अनमोल वस्तु है।
स्वाधीनता की खुशबू में लीन होता है ।
हर किसी का दिल, हर किसी का मन।
यह एक ऐसी चीज़ है जो हमें खुश रखती है ।
और हमें जीवन का सही अर्थ सिखाती है।
स्वाधीनता के बिना जीवन सार्थक नहीं है ।
यह एक ऐसी चीज़ है जो हमें जीवन देती है।
यह हमें अपने सपनों को पूरा करने की शक्ति देती है ।
और हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है।
स्वाधीनता एक अनमोल वस्तु है ।
जो हमें जीवन का सही अर्थ सिखाती है।
यह हमें अपने दिल की बात कहने की शक्ति देती है ।
और हमें अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा देती है।
स्वाधीनता की आँखें हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।
और हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती हैं।
यह एक ऐसी चीज़ है जो हमें जीवन देती है ।
और हमें अपने कार्यों को पूरा करने में मदद देती है।
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