विषय- सत्य की जीत
विषय- सत्य की जीत
बचपन से जाना ये जग की बनी रीत
होती हमेशा ही अंत में सत्य की जीत।.
पाप का घड़ा भर जब पूरा बन पलीत
उसको दिखती बदनामी न कोई हीत।
दशहरा भी दशानन नाश की सब मीत
गढ़ टुटा छल बैर का होती फिर प्रीत।
सत्य की राह पांडव सहे कितने शूल
अंत कुरुक्षेत्र में बंश नष्ट कौरव भूल।
वर्तमान का दशानन ठहरा भ्रष्टाचार
बैर,द्बेष क्रोध ही रहता बन प्रचार।
राम चिरंतन चेतना संयम का पथ
रावण दम्भी जाना चढ़कर रव रथ।
झूठ का होता कभी ना पाया आधार
सत्य की बदौलत मिलता जयकार ।
स्वरचित -रेखा मोहन पंजाब